कृष्ण के रूप

माता देवकी और पिता वासुदेव के लिए हैं वो रक्षक,
मामा कंस और अनेक राक्षसों के हैं वो भक्षक

यशोदा मैया-नन्द राय की आँखों का है वो तारा
,
माखनचोर पुकारता जिसे नन्द गावों सारा|

गोपियों के मन में है उसके लिए प्यार
,
राधा और रुक्मिणी को था जिनसे विवाह का इंतज़ार|

सुभद्रा और बलराम के वो है भाई,
द्रौपदी संग उन्होंने राखी की कथा रचाई|

भीष्म भी हैं उनके भक्त
,
शिशुपाल चाहता था पीना उनका रक्त|

दुर्योधन समझता था उन्हें कमजोर
,
शकुनि चाहता था अपने हाथों में उनकी डोर|


अर्जुन के लिए थे वो मार्गदर्शक
,
अभिमन्यु के बने वो स्वयं शिक्षक|

धृतराष्ट्र मानते थे उन्हें अपने पुत्रों का हत्यारा
,
आखिर शिवभक्तिनी के श्राप ने उन्हें मारा|

किसी के लिए थे वो अच्छे और ज्ञानी
,
तो कुछ ने समझा उन्हें बुरा और पापी|

पर नहीं समझ सका कोई उनका दुःख
,
सभी ने उनसे चाहा सिर्फ सुख|

"प्रीत" का भगवान कृष्ण के हर रूप को नमस्कार,
हैं जो इस सृष्टि के सृजनहार के आँठवे अवतार|



कवयित्री:
                                                                            दिनांक:
चैताली दी. सिन्हा (प्रीत)                                             
१९ अगस्त २०२२       

 

Comments

  1. कृष्ण को शब्दों मे बयान करना दुस्कर् है परन्तु अच्छा प्रयास है, शुभ कामनाएं।

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  2. तुम्हारी कलम है तुम्हारी पहचान हैi मुबारक हो जन्माष्टमी का त्योहार..शुभ जन्माष्टमी

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  3. Sundar 👌.....janmashtami ki dher sari shubhkamnaye......sada aise hi likhte raho.....

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  4. You are a great poetess my dear, I appreciate the way you express in all the languages. Keep it up and stay blessed🙏

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  5. Well Done Very Nice Poem and well try to decribe Shri Krishna in few words.. very good...

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  6. Very nice👏👏
    Happy janmashtami 🙏

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  7. Superb.... Happy Janmashtami 🙏🙏

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