रक्षाबंधन
वह लड़ते हैं , वह झगड़ते हैं , कभी चिढ़ते हैं , कभी अकड़ते हैं , पर फिर भी एक दूसरे पर , अपनी जान छिड़कते हैं | कभी एक दूसरे की शिकायत करते हैं , कभी एक दूसरे को बचाते हैं , गुस्सा होने का नाटक भले ही करें , पर आखिर दोनों साथ खाते हैं | भाई छोटा हो या बड़ा , अपनी बहन पर एक आँच नहीं आने देता , अपना सब कुछ उसे देने के बाद भी , वह उससे प्यार के अलावा कुछ नहीं लेता | बहन बड़ी हो या छोटी , भाई को खूब नखरे दिखती है , लेकिन माँ - बाप के बाद , अच्छी बातें वही सिखाती है | भाई बहन का रिश्ता अटूट होता है , और एक दूसरे के लिए प्यार उनमें समान और सच्चा होता है , इसीलिए ' प्रीत ' मानती है की , रक्षाबंधन का दिन हर भाई - बहन के लिए ख़ास और अच्छा होता है | कवयित्री: दिनांक : चैताली दी. सिन्हा २२ अगस्त २०२१