बालिकाएँ एवं समानता
दोनों ही माँ की कोख से जन्म लेते हैं,
दोनों ही औरत को माँ बनाते हैं|
दोनों ही आँगन में खेलते हैं,
दोनों ही झूले पर झूलते
हैं|
दोनों ही साथ पढ़ते-लिखते
हैं,
दोनों ही एक जैसे संस्कार सीखते हैं|
दोनों से होती है माँ-बाप
को उम्मीदें,
काबिलियत तो पूरी होती है
दोनों से|
दोनों ही परिवार का नाम
रोशन करते हैं,
दोनों ही अपनों को खोने
से डरते हैं|
दोनों मेहनत से हासिल
करते हैं सफलता,
दोनों में है सब कर
दिखाने की क्षमता|
जब भगवान ने बनाया है
दोनों को बराबर,
फिर क्यों देखे जातें है
लड़के ऊपर|
यों तो बदल रहा है समय और
बदल रहे है विचार,
लेकिन अब भी होता है लड़की
जनने वाली माँ पर अत्याचार|
मौका मिलने पर वो भी
बदलेंगी तुम्हारी तक़दीर,
क्योंकि हर लड़की होती है
कोमल और वीर|
"प्रीत" की विनती है, मिले बेटियों को भी
सम्मान,
मत रोकना उन्हें, पूरे करने दो उनके अरमान|
कवयित्री: दिनांक:
चैताली डी. सिन्हा ११ अक्टूबर, २०२०
चैताली डी. सिन्हा ११ अक्टूबर, २०२०
Bahot sunder
ReplyDeleteबहुत अच्छा लिखा है..
ReplyDeleteGreat, keep doing good work
ReplyDeleteSuperb
ReplyDeleteVery good 👍 chaitali
ReplyDeleteBadhiya likha he beta..
ReplyDeleteबहोत शानदार Nice written👌👏
ReplyDeleteWah
ReplyDeleteSuper. Keep going.
ReplyDeleteजीतना उमदा विचार है उतनी ही उमदा कविता लिखी है।👌👍
ReplyDeleteAmazing and heart touching.. so proud of you.. keep it up!
ReplyDeleteSuperb thoughts 👍😍
ReplyDeleteVery well described
ReplyDeleteVery well described! Well done Chaitali
ReplyDeleteबहुत अच्छा👍
ReplyDeleteBeautifully written
ReplyDeleteNicely presented through words. Superb!
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