राखी की कहानियाँ
जब वासुदेव के हाथ से खून बहा,
द्रौपदी की आँखें हो गयी नम,
फाड़ कर अपने पल्लू का टुकड़ा, जब उसने ज़ख्म पर बाँधा,
स्वीकारा उसे, अपनी बहन, कहकर एक शब्द "अक्षम"|
देवी यमुना ने माना यम देवता को अपना भाई,
बांधकर उन्हें एक पवित्र राखी,
एक नयी कथा रचाई,
और वे स्वयं चिरंजीवी हुई|
पूरी करने शुभ-लाभ की इच्छा,
श्री गणेश ने ली रिद्धि-सिद्धि की मदद,
उत्त्पन्न की देवी संतोषी माँ,
जिनसे हुए सभी लोग हर्षद|
राक्षस बली ने जब बनाया विष्णुजी को द्वारपाल,
एक साधारण औरत के वेश में लक्ष्मीजी पहुंची उनके घर|
बाँधकर उसे राखी, किया सुरक्षित और मालामाल,
उपहार में माँग लिया अपना पति परमेश्वर|
बहादुर शाह से बचाने अपनी सल्तनत,
रानी कर्णावती ने बादशाह हुमायूँ को राखी भेजी,
पायी उनकी मदद से रानी ने अपनी ज़न्नत,
हिन्दू और मुस्लिम के साथ की एक कहानी रची|
बचाने को सिकंदर के प्राण,
रोक्साना ने माना महान राजा पौरस को अपना अग्रज,
निभाने, भाई बहन का रिश्ता, पौरस ने छोड़ी अपनी शान,
सिकंदर के दिल पर पौरस ने लहराया इंसानियत का ध्वज|
कहानियाँ गवाह है की भाई बहन का रिश्ता है पाक,
एक मोती का धागा झलकाता है अनगिनत प्यार,
अपनी वीरता से हर भाई ऊँची करता है अपनी बहन की नाक,
"प्रीत" करती है अपने प्यारे भाइयों पर जान निस्सार|
द्रौपदी की आँखें हो गयी नम,
फाड़ कर अपने पल्लू का टुकड़ा, जब उसने ज़ख्म पर बाँधा,
स्वीकारा उसे, अपनी बहन, कहकर एक शब्द "अक्षम"|
देवी यमुना ने माना यम देवता को अपना भाई,
बांधकर उन्हें एक पवित्र राखी,
एक नयी कथा रचाई,
और वे स्वयं चिरंजीवी हुई|
पूरी करने शुभ-लाभ की इच्छा,
श्री गणेश ने ली रिद्धि-सिद्धि की मदद,
उत्त्पन्न की देवी संतोषी माँ,
जिनसे हुए सभी लोग हर्षद|
राक्षस बली ने जब बनाया विष्णुजी को द्वारपाल,
एक साधारण औरत के वेश में लक्ष्मीजी पहुंची उनके घर|
बाँधकर उसे राखी, किया सुरक्षित और मालामाल,
उपहार में माँग लिया अपना पति परमेश्वर|
बहादुर शाह से बचाने अपनी सल्तनत,
रानी कर्णावती ने बादशाह हुमायूँ को राखी भेजी,
पायी उनकी मदद से रानी ने अपनी ज़न्नत,
हिन्दू और मुस्लिम के साथ की एक कहानी रची|
बचाने को सिकंदर के प्राण,
रोक्साना ने माना महान राजा पौरस को अपना अग्रज,
निभाने, भाई बहन का रिश्ता, पौरस ने छोड़ी अपनी शान,
सिकंदर के दिल पर पौरस ने लहराया इंसानियत का ध्वज|
कहानियाँ गवाह है की भाई बहन का रिश्ता है पाक,
एक मोती का धागा झलकाता है अनगिनत प्यार,
अपनी वीरता से हर भाई ऊँची करता है अपनी बहन की नाक,
"प्रीत" करती है अपने प्यारे भाइयों पर जान निस्सार|
कवयित्री: दिनांक:
बहुत सुंदर।
ReplyDeleteBeautiful!!
ReplyDeleteGood story festival raksha Bandhan god bless you. 🌹
ReplyDeleteधन्यवाद दीपेश भाई । चैताली को बहुत बहुत बधाई उसके हर अच्छे रचनात्मक काम के लिए । भगवान का आशीर्वाद हमेशा उसे मिलता रहे ।
ReplyDeleteइतिहास, संस्कृति और विश्वास को एक धागे में बांधकर बहुत ही सुंदर वर्णन किया है । अदभुत है ।
ReplyDeleteबहुत सुंदर प्रस्तुति तुम्हारी लिखी कविता द्वारा। रक्षा बंधन की शुभ कामनाएं।
ReplyDeleteबहुत सुंदर....शानदार...👏👏👏
ReplyDeleteBeautiful collection
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