कृष्णा
जन्मे थे वह कारागार में,
जब था अन्याय और अधर्म इस संसार में
वो तो भगवन विष्णु के थे आठवें अवतार,
लेकर जन्मे थे वह धर्म का सार
देवकी थी माता और वसुदेव थे पिता,
मामा कंस तो उसकी मौत के लिए था जीता
होना पड़ा जन्म लेते ही उसे अलग अपने माता पिता से,
तूफ़ान से उनकी सुरक्षा के लिए शेषनाग थे खड़े
स्वयं माता यमुना चाहती थी उनके चरण स्पर्श,
कृष्णा के मिलने के बाद नन्द राय को मिला खुब हर्ष
यशोदा का था वो आँखों का तारा,
अलग नाम से पुकारता था उसे जग सारा
उसके सर पर मंडरा रहा था काल,
पर विफल की उसने अपने मामा की हर चाल
चुराता था गोपियों के वस्त्र और था माखन चोर,
उसके उठते ही मच जाता था पुरे नन्द गाँव में शोर
राधा थी उसकी एक प्रेमिका,
लेकिन उसके भाग्य में कुछ और था लिखा
पराजित किया कालिया नाग को,
और उठा लिया गोवर्धन पर्वत को
बड़े होकर किया मामा कंस का विनाश,
स्मरण रख कर अपने छः भाइयों की लाश
बलराम कृष्ण की प्रिय बहन थी सुभद्रा,
परन्तु थी उनकी जरासन्ध से स्पर्धा
सोला हज़ार पत्नियों के बने वह स्वामी,
थी उनकी बहन जैसी सखि द्रौपदी अभिमानी
क्योंकि ले रहा था वह मुर्ख 100 अपराध क्षमा के वरदान का सहारा
वस्त्र हरण जैसे पाप की आशा उन्हें कुरु कुल से नहीं थी,
परन्तु नारी के सम्मान के लिए लाज राखी उन्होंने द्रौपदी की
सिखाया पाण्डवों को उनका धर्म,
भरी थी जिनमे लज्जा और शर्म
अभिमन्यु को युद्ध करना सिखाया,
पाण्डवों को विजय का स्वप्न दिखाया
शांति प्रस्ताव लेके भी वह हस्तिनापुर गए,
दुर्योधन के हातों बाँधी बंध गए
दिखाया उसे उसका भविष्य,
अभिमान से भरा था वह द्रोण शिष्य
आ ही गया आखिर महासंग्राम का समय,
दोनों पक्षों ने कृष्णा की मदद से चाहि विजय
पार्थ के सारथी बने केशव,
देख कर रोये अनेक लोगों के शव
दिलाई उन्होंने पाण्डवों को जीत,
परन्तु हो गया उनका भाग्य विपरीत
हुआ गांधारी का श्राप सच
कोई न पाया बच
देखा अपने कुल का नाश,
और हुए यह महानायक अनेक बार निराश
विष्णु के इस अवतार को मेरा शत शत प्रणाम,
मान गयी "प्रीत", जीवन है अपने कर्मो का परिणाम
जब था अन्याय और अधर्म इस संसार में
वो तो भगवन विष्णु के थे आठवें अवतार,
लेकर जन्मे थे वह धर्म का सार
देवकी थी माता और वसुदेव थे पिता,
मामा कंस तो उसकी मौत के लिए था जीता
होना पड़ा जन्म लेते ही उसे अलग अपने माता पिता से,
तूफ़ान से उनकी सुरक्षा के लिए शेषनाग थे खड़े
स्वयं माता यमुना चाहती थी उनके चरण स्पर्श,
कृष्णा के मिलने के बाद नन्द राय को मिला खुब हर्ष
यशोदा का था वो आँखों का तारा,
अलग नाम से पुकारता था उसे जग सारा
उसके सर पर मंडरा रहा था काल,
पर विफल की उसने अपने मामा की हर चाल
चुराता था गोपियों के वस्त्र और था माखन चोर,
उसके उठते ही मच जाता था पुरे नन्द गाँव में शोर
राधा थी उसकी एक प्रेमिका,
लेकिन उसके भाग्य में कुछ और था लिखा
पराजित किया कालिया नाग को,
और उठा लिया गोवर्धन पर्वत को
बड़े होकर किया मामा कंस का विनाश,
स्मरण रख कर अपने छः भाइयों की लाश
बलराम कृष्ण की प्रिय बहन थी सुभद्रा,
परन्तु थी उनकी जरासन्ध से स्पर्धा
सोला हज़ार पत्नियों के बने वह स्वामी,
थी उनकी बहन जैसी सखि द्रौपदी अभिमानी
राजकुमार अर्जुन था उनका प्रिय सखा,
द्रौपदी अर्जुन मिलान के लिये द्रुपद ने द्रौपदी स्वयंवर रखा
करवाया प्रिया सुभद्रा का विवाह पार्थ के संग,
और लड़वाई भीम से जरासंध के खिलाफ जंग
क्योंकि ले रहा था वह मुर्ख 100 अपराध क्षमा के वरदान का सहारा
वस्त्र हरण जैसे पाप की आशा उन्हें कुरु कुल से नहीं थी,
परन्तु नारी के सम्मान के लिए लाज राखी उन्होंने द्रौपदी की
सिखाया पाण्डवों को उनका धर्म,
भरी थी जिनमे लज्जा और शर्म
अभिमन्यु को युद्ध करना सिखाया,
पाण्डवों को विजय का स्वप्न दिखाया
शांति प्रस्ताव लेके भी वह हस्तिनापुर गए,
दुर्योधन के हातों बाँधी बंध गए
दिखाया उसे उसका भविष्य,
अभिमान से भरा था वह द्रोण शिष्य
आ ही गया आखिर महासंग्राम का समय,
दोनों पक्षों ने कृष्णा की मदद से चाहि विजय
पार्थ के सारथी बने केशव,
देख कर रोये अनेक लोगों के शव
दिलाई उन्होंने पाण्डवों को जीत,
परन्तु हो गया उनका भाग्य विपरीत
हुआ गांधारी का श्राप सच
कोई न पाया बच
देखा अपने कुल का नाश,
और हुए यह महानायक अनेक बार निराश
विष्णु के इस अवतार को मेरा शत शत प्रणाम,
मान गयी "प्रीत", जीवन है अपने कर्मो का परिणाम
कवयित्री: दिनांक:
चैताली डी. सिन्हा 12
जून, २०२०
Wow great job... Send me more your thoughts.. Love it
ReplyDeleteGreat Chaitali
ReplyDeleteAwesome poem ....I like it..
ReplyDeleteWell done my dear friend..
Keep it up....
Good job..keep writing
ReplyDeleteGreat efforts!! You wrote lucid poem and that shows how well organized thought process you have.
ReplyDeleteAwesome work keep it up great effort 👌👌👌🌟🌟🌟🌟👍
ReplyDeleteSuperb👌👌👌👏👏👏
ReplyDeleteGood!!!
ReplyDeleteIts awsome dear...
ReplyDeleteबहुत अच्छा लिखा है। ऐसे ही लिखते रहिए और आगे बढते रहिए।
ReplyDeleteAwesome
ReplyDeleteWonderful 👌👌🌟
ReplyDeleteWow superb 👌👌👌👌👌👍👍👍👍👍🌟🌟🌟🌟
ReplyDeletewow so nice
ReplyDeleteGood
ReplyDeleteGreat work. Keep it up. Wishing you all the very best!
ReplyDeleteBeautifully written!! Keep it up Chaitali.
ReplyDeleteIt's awesome, well done, all the best
ReplyDeleteBeautifully written.....
ReplyDeleteUnbelievable.... Well done
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